कुंडलिनी ऊर्जा क्या है?
कुंडलिनी (Kundalini) एक प्राचीन योगिक और आध्यात्मिक अवधारणा है, जिसे "सुप्त ऊर्जा" या "दिव्य शक्ति" के रूप में वर्णित किया जाता है। यह संस्कृत शब्द "कुंडल" (कुंडली या सर्पिल) से लिया गया है, क्योंकि माना जाता है कि यह ऊर्जा मूलाधार चक्र (रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित) में सर्पिलाकार में सुप्त अवस्था में रहती है। **कुंडलिनी का महत्व** हिंदू, तांत्रिक और योगिक परंपराओं में कुंडलिनी को मानव शरीर की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा माना जाता है। जब यह जागृत होती है, तो यह ऊपर की ओर बढ़ती हुई सभी सात चक्रों (मूलाधार से सहस्रार तक) को सक्रिय कर देती है, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान, चेतना का विस्तार और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। **कुंडलिनी जागरण के लक्षण** कुंडलिनी जागरण के दौरान निम्नलिखित अनुभव हो सकते हैं: - शरीर में ऊष्मा, झनझनाहट या विद्युत जैसी अनुभूति। - गहरी ध्यानावस्था या समाधि की स्थिति। - अदृश्य ऊर्जा का प्रवाह महसूस होना। - मानसिक शांति, आनंद या दिव्य अनुभूति। ...