मृत्यु क्या है?

 मृत्यु एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो जीवन का अंतिम चरण मानी जाती है। यह शरीर की सभी जैविक क्रियाओं के पूर्ण रूप से बंद हो जाने की स्थिति है, जिसमें हृदय गति, साँस लेना और मस्तिष्क की गतिविधियाँ स्थायी रूप से रुक जाती हैं।  


**मृत्यु के विभिन्न पहलू:**  

1. **शारीरिक मृत्यु:** शरीर के अंगों का कार्य करना बंद कर देना, जिसके बाद शरीर धीरे-धीरे विघटित होने लगता है।  

2. **आध्यात्मिक दृष्टिकोण:** कई धर्मों और दर्शनों में मृत्यु को शरीर का अंत माना जाता है, आत्मा का नहीं। हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा अमर है और पुनर्जन्म लेती है, जबकि ईसाई और इस्लाम में परलोक (स्वर्ग/नरक) की अवधारणा है।  

3. **वैज्ञानिक दृष्टि:** विज्ञान मृत्यु को मस्तिष्क की गतिविधियों के पूर्णतः समाप्त होने के रूप में देखता है। आधुनिक चिकित्सा में "ब्रेन डेथ" को मृत्यु का निर्णायक मानक माना जाता है।  

4. **दार्शनिक विचार:** कुछ दार्शनिक मृत्यु को जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा मानते हैं, जो जीवन को अर्थ प्रदान करती है।  


 **मृत्यु के बारे में कुछ प्रमुख विचार:**  

- **भगवद गीता (2.20):**  

  *"न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।  

  अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥"*  

  (आत्मा न कभी जन्म लेती है, न मरती है... शरीर के नष्ट होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती।)  


- **अल्बर्ट आइंस्टीन:**  

  *"मृत्यु एक ऐसा अनुभव है जिसे हम सभी को साझा करना है, लेकिन यह जीवन को कीमती बनाती है।"*  


मृत्यु के बारे में विचार करना जीवन को गहराई से समझने में मदद करता है। यह न केवल एक अंत है, बल्कि जीवन के अर्थ को प्रकट करने वाली एक गहन प्रक्रिया भी है।  



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नाम जप से आत्मज्ञान कैसे प्राप्त होता है?

कामवासना क्या है ?

तनाव मुक्त जीवन कैसे जिएं?