तंत्र क्या है?
तंत्र (Tantra) एक प्राचीन आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपरा है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के कुछ संप्रदायों में पाया जाता है। तंत्र का शाब्दिक अर्थ है "विस्तार" या "बुनाई", जो जीवन, ब्रह्मांड और चेतना के आपसी जुड़ाव को दर्शाता है।
### तंत्र के मुख्य सिद्धांत:
1. **दिव्य ऊर्जा की पूजा**: तंत्र में शक्ति (देवी) और शिव (देव) के संयोग को महत्व दिया जाता है, जो ब्रह्मांड की सृजनात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
2. **योग और साधना**: कुंडलिनी योग, मंत्र, यंत्र, मुद्राएँ और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करना।
3. **भौतिक और आध्यात्मिक का एकीकरण**: तंत्र मोक्ष प्राप्ति के लिए संसार से भागने के बजाय उसी के माध्यम से जागृति की शिक्षा देता है।
4. **वाममार्ग और दक्षिणमार्ग**: कुछ तांत्रिक प्रथाएँ (वामाचार) गुप्त रीति-रिवाजों, मद्य-मांस-मैथुन आदि का उपयोग करती हैं, जबकि दक्षिणमार्ग शुद्ध शाकाहार और सात्विक साधना पर जोर देता है।
### तंत्र के प्रकार:
- **हिंदू तंत्र**: शाक्त और शैव परंपराओं से जुड़ा है।
- **बौद्ध तंत्र**: वज्रयान बौद्ध धर्म (तिब्बती बौद्ध धर्म) में इसका प्रभाव है।
### तंत्र का उद्देश्य:
- मनुष्य को अंतर्निहित दिव्य शक्ति का अनुभव कराकर मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करना।
- दैनिक जीवन को आध्यात्मिकता से जोड़ना।
आजकल "तंत्र" शब्द का प्रयोग कभी-कभी गलत संदर्भों में भी होता है, जैसे कि केवल यौन प्रथाओं तक सीमित कर दिया जाता है, जबकि वास्तव में यह एक विस्तृत दार्शनिक और साधनात्मक मार्ग है।
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