मोक्ष क्या है?
**मोक्ष** (या मुक्ति) हिंदू, जैन, बौद्ध और कुछ अन्य भारतीय दर्शनों में **जीवन-मरण के चक्र (संसार) से मुक्ति** को कहते हैं। यह आत्मा की परम शांति और दिव्य आनंद की अवस्था है, जहाँ सभी प्रकार के दुःख, इच्छाएँ और अज्ञान समाप्त हो जाते हैं।
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### **मोक्ष की अवधारणा विभिन्न दर्शनों में**
1. **हिंदू धर्म (वेदांत दर्शन)**
- मोक्ष **आत्मा का ब्रह्म (परमात्मा) से पूर्ण एकत्व** है।
- **"मोक्ष = अहं ब्रह्मास्मि"** (मैं ब्रह्म हूँ) – यह ज्ञान ही मुक्ति देता है।
- **भगवद्गीता** के अनुसार, निष्काम कर्म, भक्ति और ज्ञान से मोक्ष मिलता है।
- **मुक्त आत्मा** को **"निर्वाण"**, "कैवल्य" या "मुक्ति" कहा जाता है।
2. **बौद्ध धर्म**
- मोक्ष को **"निर्वाण"** कहते हैं, जहाँ **तृष्णा (इच्छा) और अविद्या का अंत** होता है।
- यह **दुःख से पूर्ण मुक्ति** है, जिसे बुद्धत्व प्राप्ति से हासिल किया जा सकता है।
3. **जैन धर्म**
- मोक्ष को **"कैवल्य ज्ञान"** कहा जाता है, जहाँ आत्मा **कर्मों के बंधन से मुक्त** हो जाती है।
- **तप, सत्य और अहिंसा** के माध्यम से मोक्ष प्राप्त होता है।
4. **सांख्य दर्शन**
- मोक्ष **पुरुष (आत्मा) का प्रकृति (माया) से अलग होना** है।
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### **मोक्ष प्राप्ति के मार्ग**
1. **ज्ञान मार्ग** – आत्मा-परमात्मा के एकत्व का साक्षात्कार।
2. **भक्ति मार्ग** – ईश्वर की अनन्य भक्ति द्वारा।
3. **कर्म मार्ग** – निष्काम कर्म (गीता का सिद्धांत)।
4. **योग मार्ग** – ध्यान और समाधि द्वारा चित्त की शुद्धि।
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### **मोक्ष vs स्वर्ग**
- **स्वर्ग** अस्थायी सुख है, जहाँ पुण्य कर्मों का फल मिलता है, किंतु जन्म-मरण का चक्र बना रहता है।
- **मोक्ष** शाश्वत है – यहाँ **पुनर्जन्म नहीं होता** और आत्मा परमानंद में लीन हो जाती है।
> _"यदा सर्वे प्रमुच्यन्ते कामा येऽस्य हृदि श्रिताः।
> अथ मर्त्योऽमृतो भवत्यत्र ब्रह्म समश्नुते॥"_
> **(उपनिषद्)**
> *"जब मनुष्य के हृदय से सभी इच्छाएँ मिट जाती हैं, तब वह मृत्यु रूपी बंधन से मुक्त होकर अमर हो जाता है और ब्रह्म को प्राप्त करता है।"*
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### **निष्कर्ष**
मोक्ष **अज्ञान, इच्छा और कर्मबंधनों से पूर्ण मुक्ति** है। यह हर आत्मा का अंतिम लक्ष्य माना जाता है, जिसे आध्यात्मिक साधना द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
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