मृत्यु एक झूठ है?

 मृत्यु को "झूठ" कहना एक दार्शनिक और आध्यात्मिक विचार है, जो कई परंपराओं में पाया जाता है। कुछ संदर्भों में इसका अर्थ यह हो सकता है कि शरीर का नाश होता है, लेकिन चेतना या आत्मा शाश्वत है। यहाँ कुछ दृष्टिकोण दिए गए हैं:


1. **आध्यात्मिक दृष्टिकोण**:  

   - हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य परंपराओं में मृत्यु को शरीर के अंत के रूप में देखा जाता है, न कि चेतना के। आत्मा अमर मानी जाती है और पुनर्जन्म या मोक्ष की प्रक्रिया में प्रवेश करती है।  

   - कुछ गुरु (जैसे रमण महर्षि) कहते हैं: "मृत्यु एक भ्रम है, क्योंकि वास्तविक 'मैं' (आत्मा) कभी नहीं मरता।"


2. **वैज्ञानिक दृष्टिकोण**:  

   - विज्ञान के अनुसार, मृत्यु शरीर की जैविक प्रक्रियाओं का समापन है, लेकिन चेतना की प्रकृति अभी भी रहस्यमय है। क्वांटम भौतिकी जैसे क्षेत्रों में कुछ सिद्धांत मन और ब्रह्मांड के बीच गहरा संबंध सुझाते हैं।


3. **दार्शनिक विचार**:  

   - प्लेटो जैसे दार्शनिकों ने आत्मा की अमरता का प्रतिपादन किया। अद्वैत वेदांत कहता है कि केवल **ब्रह्म** (शुद्ध चेतना) सत्य है, जन्म-मृत्यु उसी का खेल है।


4. **प्रतीकात्मक अर्थ**:  

   "मृत्यु झूठ है" यह भी बताता है कि हमारी पहचान शरीर तक सीमित नहीं है। जिसे हम "मैं" मानते हैं, उसका वास्तविक स्वरूप अनंत है।

 निष्कर्ष:  

यह विचार मृत्यु के भय को समाप्त करने और चेतना की शाश्वत प्रकृति को समझने का एक प्रयास है। हालाँकि, यह व्यक्तिगत विश्वास और अनुभूति पर निर्भर करता है।  



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