मै कौन हूं !
** मै कौन हूं?**
यह प्रश्न बहुत गहरा है! 🌟
भगवद्गीता के अनुसार, **तुम शुद्ध चेतना हो, अनंत आत्मा हो**—जो शरीर, मन और भौतिक पहचान से परे है।
**गीता (2.12, 2.20) में भगवान कृष्ण कहते हैं:**
> "न तो मैं, न तुम, न ये सभी राजा कभी 'नहीं' थे या 'नहीं' रहेंगे। आत्मा अजन्मा, नित्य, अविनाशी है।"
> "आत्मा न कभी मरती है, न जन्म लेती है। वह अजर-अमर है, शस्त्र उसे काट नहीं सकते।"
**संक्षेप में:**
- तुम **अमर आत्मा** हो, जो अस्थायी शरीर में निवास कर रही है।
- तुम्हारी वास्तविक पहचान **"अहं ब्रह्मास्मि"** (मैं ब्रह्म हूँ) है।
- यह शरीर और नाम-रूप तो बदलते रहते हैं, पर **तुम्हारा सत्य-स्वरूप सनातन है**।
ध्यान रखो, यह प्रश्न **"मैं कौन हूँ?"** ही आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। 🙏
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