नाम जप से आत्मज्ञान कैसे प्राप्त होता है?

 नाम जप (भगवान के नाम का स्मरण) आत्मज्ञान प्राप्त करने का एक सशक्त साधन है। यह मन को शुद्ध करके परमात्मा से जोड़ता है और आत्मा की वास्तविक प्रकृति को प्रकट करता है। नाम जप से आत्मज्ञान कैसे मिलता है, इसे निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है:


 1. **मन की एकाग्रता और शुद्धि**  

   - नाम जप करने से मन विचलित नहीं होता, बल्कि भगवान के नाम में स्थिर होता है।  

   - जप की निरंतरता से मन की मलिनता (काम, क्रोध, लोभ आदि) दूर होती है, जो आत्मज्ञान में बाधक है।  

 2. **अहंकार का नाश**  

   - नाम जप करते समय "मैं" का भाव कम होता है और भगवान की महिमा का बोध बढ़ता है।  

   - अहंकार के घटने से जीवात्मा और परमात्मा के बीच का भेद मिटने लगता है।  


 3. **आत्मा-परमात्मा का योग**  

   - भगवान का नाम उनका स्वरूप है। नाम जप से परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है, जो आत्मबोध के लिए आवश्यक है।  

   - जैसे रामकृष्ण परमहंस ने कहा: *"नाम और नामी (भगवान) एक ही हैं। नाम जपने से साक्षात् ईश्वर की प्राप्ति होती है।"*  


 4. **चित्त की शांति और आत्मदर्शन**  

   - नाम स्मरण से मन शांत होता है, जिससे आत्मा का स्वरूप (सच्चिदानंद) प्रकट होता है।  

   - जैसे गीता (6.25) में कहा गया: *"धीरे-धीरे मन को भगवान में स्थिर करो, और आत्मा में ही सुख पाओ।"*  


 5. **सतगुरु की कृपा**  

   - कई संतों का मानना है कि सच्चे मन से नाम जप करने पर सद्गुरु की कृपा प्राप्त होती है, जो आत्मज्ञान का द्वार खोलती है।*कैसे करें नाम जप?**  

- निष्काम भाव से, प्रेम और श्रद्धा के साथ।  

- मंत्र जप (जैसे "ॐ नमः शिवाय", "हरे कृष्ण", "राम नाम") या इष्टदेव के नाम का स्मरण।  

- जप के साथ ध्यान और सेवा-भाव जोड़ें।*निष्कर्ष**  

नाम जप आत्मज्ञान का सरल लेकिन गहरा मार्ग है। यह मन को भक्ति और ज्ञान दोनों से भर देता है, जिससे आत्मसाक्षात्कार स्वतः होता है। जैसे तुलसीदास जी कहते हैं:  

*"राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार।  

तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।"*  

(राम नाम का दीपक मन में रखो, इससे अंदर-बाहर दोनों जगह प्रकाश फैलेगा।)  


इसलिए, नियमित और भक्तिपूर्वक नाम जप करें—आत्मज्ञान स्वयं प्रकट होगा। 🌿🙏

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