होश क्या है ? इसे कैसे साधे ?

 होश (चेतना या awareness) का अर्थ है अपने अस्तित्व, विचारों, भावनाओं, शरीर और पर्यावरण के प्रति जागरूक होना। यह मनुष्य की वह स्थिति है जिसमें वह वर्तमान क्षण को पूरी तरह अनुभव करता है। होश को साधने (विकसित करने) के लिए निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं:


1. **ध्यान (मेडिटेशन)**  

   - नियमित ध्यान से मन शांत होता है और चेतना बढ़ती है।  

   - सरल तकनीक: श्वास पर ध्यान केंद्रित करें या मंत्र (जैसे "ॐ") का जाप करें।  


2. **प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)**  

   - गहरी और नियंत्रित सांस लेने से मन स्थिर होता है और होश बढ़ता है।  

   - अनुलोम-विलोम, कपालभाति जैसे प्राणायाम उपयोगी हैं।  


 3. **वर्तमान में जीना (माइंडफुलनेस)**  

   - रोज़मर्रा के काम (खाना, चलना, बातचीत) को पूरे ध्यान से करें।  

   - विचारों या भावनाओं को बिना जज किए देखें।  


 4. **शरीर के प्रति जागरूकता**  

   - योगासन करते समय शरीर की सूक्ष्म संवेदनाओं पर ध्यान दें।  

   - स्कैन मेडिटेशन: शरीर के हर हिस्से को मानसिक रूप से महसूस करें।  


 5. **संयम और आत्म-अवलोकन**  

   - अपनी आदतों, प्रतिक्रियाओं और विचारों को ऑब्जर्व करें।  

   - जागरूकता बढ़ाने के लिए डायरी लिखें या स्वयं से सवाल पूछें।  


 6. **सात्विक जीवनशैली**  

   - सात्विक आहार (हल्का व शुद्ध भोजन), नियमित नींद और सकारात्मक संगति होश को बढ़ाती है।  


 7. **अध्यात्मिक अभ्यास**  

   - स्वाध्याय (गीता, उपनिषद आदि पढ़ना), भक्ति या सेवा भाव से चेतना जागृत होती है।  


 महत्वपूर्ण सूत्र:  

- होश की स्थिति कोई एक्सरसाइज नहीं, बल्कि निरंतर अभ्यास से विकसित होती है।  

- धैर्य रखें—यह प्रक्रिया समय लेती है।  


> *"जब तुम जागते हो, तो पाते हो कि तुम्हारा सारा जीवन एक सपना था, केवल अब तुम जाग रहे हो।"* 

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