समाधि क्या है ?

 **समाधि** हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवस्था है, जिसे **चेतना की सर्वोच्च अवस्था** या **आत्मज्ञान की पराकाष्ठा** माना जाता है। यह ध्यान (मेडिटेशन) की सबसे गहरी अवस्था है, जहाँ मन पूरी तरह शांत हो जाता है और व्यक्ति को **आत्मा एवं परमात्मा के एकत्व** का अनुभव होता है।


 **समाधि के प्रमुख पहलू:**

1. **योग दर्शन (पतंजलि) के अनुसार:**

   - समाधि **अष्टांग योग** की आठवीं और अंतिम सीढ़ी है।

   - इसमें **ध्येय (वस्तु) और ध्यान करने वाले (योगी) का भेद मिट जाता है**।

   - दो प्रकार की समाधि:

     - **सम्प्रज्ञात समाधि** (सविकल्प): इसमें चेतना बनी रहती है।

     - **असम्प्रज्ञात समाधि** (निर्विकल्प): पूर्ण विराम, जहाँ कोई विचार या प्रतीति नहीं रहती।


2. **बौद्ध धर्म में:**

   - इसे **निर्वाण** से जोड़ा जाता है, जहाँ सभी इच्छाओं और दुखों का अंत हो जाता है।

   - **ध्यान (विपश्यना)** के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली परम शांति की अवस्था।


3. **जैन धर्म में:**

   - समाधि को **केवल ज्ञान** (सर्वोच्च ज्ञान) प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।

   - कुछ जैन मुनि **समाधि मरण** (संथारा) भी करते हैं, जिसमें शरीर का त्याग शांतिपूर्वक किया जाता है।


4. **अद्वैत वेदांत में:**

   - **ब्रह्म और आत्मा की एकता** का साक्षात्कार ही समाधि है।

   - रमण महर्षि जैसे संतों ने इसे **"आत्म-साक्षात्कार"** कहा।


 **समाधि का अनुभव:**

- श्वास और मन की गति रुक जाती है।

- समय और स्थान का बोध खत्म हो जाता है।

- शरीर से परे **शुद्ध चैतन्य** का अनुभव होता है।

- कुछ योगी (जैसे कबीर, मीरा) इसे **"सहज अवस्था"** कहते हैं।


 **निष्कर्ष:**

समाधि **मोक्ष, मुक्ति या ज्ञानोदय** का द्वार है, जहाँ व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर **अनंत आनंद** में लीन हो जाता है। यह कोई जादुई अवस्था नहीं, बल्कि साधना और आत्म-अनुशासन से प्राप्त की जाने वाली **चेतना की प्राकृतिक अवस्था** है।

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