भागवत गीता का पूरा सार !
**भगवद गीता का सार**
**1. मूल संदेश:**
श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत का एक अंश है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने योद्धा अर्जुन को जीवन, धर्म, कर्तव्य और मोक्ष का ज्ञान दिया। गीता का मूल संदेश है – **"निष्काम कर्म योग"** (बिना फल की इच्छा के कर्म करो)।
**2. प्रमुख शिक्षाएँ:**
- **कर्म योग:** फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करो। (अध्याय 2, श्लोक 47)
- **भक्ति योग:** ईश्वर में समर्पित भाव से जुड़ो। (अध्याय 9, श्लोक 22)
- **ज्ञान योग:** सच्चा ज्ञान अहंकार और अज्ञान को मिटाता है। (अध्याय 4, श्लोक 38)
- **ध्यान योग:** मन को नियंत्रित करके आत्म-साक्षात्कार करो। (अध्याय 6, श्लोक 6)
**3. गीता के 5 मूल तत्व:**
1. **ईश्वर (परमात्मा):** सर्वव्यापी सत्ता।
2. **जीवात्मा:** अजर-अमर आत्मा।
3. **प्रकृति:** तीन गुणों (सत्त्व, रजस, तमस) वाली माया।
4. **कर्म:** कार्य और उसका फल।
5. **काल:** समय और नियति।
**4. महत्वपूर्ण श्लोक:**
- **"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"** (2.47)
(तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं।)
- **"योगः कर्मसु कौशलम्।"** (2.50)
(कुशलता पूर्वक कर्म करना ही योग है।)
- **"वासांसि जीर्णानि यथा विहाय..."** (2.22)
(जैसे मनुष्य पुराने वस्त्र त्यागकर नए धारण करता है, वैसे ही आत्मा शरीर बदलती है।)
**5. निष्कर्ष:**
गीता सिखाती है कि **"मनुष्य को डर, संदेह और मोह त्यागकर धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए।"** ईश्वर में समर्पण और आत्मज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है।
> ✨ *"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत..."*
> (जब-जब धर्म का पतन होता है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ। – गीता 4.7)
गीता का सार **"कर्म, भक्ति और ज्ञान"** के समन्वय में निहित है। इसे अपनाकर मनुष्य जीवन के हर संकट से मुक्त हो सकता है।
🌿 **"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।"**
(सभी धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आओ। – गीता 18.66)
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