आत्मा क्या है ?

 आत्मा एक गहन और बहुआयामी अवधारणा है, जिसे विभिन्न दर्शनों, धर्मों और विचारधाराओं में अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया गया है। सामान्य अर्थ में आत्मा को "अमर चेतना या स्वयं का वास्तविक स्वरूप" माना जाता है, जो शरीर, मन और भौतिक सीमाओं से परे है।  


**प्रमुख दृष्टिकोण:**  

1. **हिंदू दर्शन (वेदांत):**  

   - आत्मा (आत्मन्) शाश्वत, अजन्मा, निराकार और ब्रह्म (परम सत्य) का अंश है।  

   - यह जन्म-मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति (मोक्ष) पाने तक विभिन्न शरीरों में प्रवेश करती है।  

   - श्लोक: **"आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु..."** (कठोपनिषद्) — शरीर को रथ और आत्मा को रथ का स्वामी माना गया है।  


2. **बौद्ध दर्शन:**  

   - बौद्ध धर्म "अनात्मवाद" (आत्मा की स्थिरता का निषेध) सिखाता है, परंतु "चेतना की निरंतरता" को स्वीकार करता है।  

   - आत्मा के बजाय "पंचस्कंध" (रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार, विज्ञान) की अवधारणा है।  


3. **जैन दर्शन:**  

   - आत्मा (जीव) शाश्वत है, लेकिन कर्म के बंधन से युक्त। मोक्ष कर्मों के नाश से ही संभव है।  


4. **ईसाई/इस्लामी विचार:**  

   - आत्मा ईश्वर द्वारा सृजित अमर तत्व है, जो मृत्यु के बाद परलोक (स्वर्ग/नरक) में जाती है।  


5. **वैज्ञानिक दृष्टिकोण:**  

   - विज्ञान आत्मा को "चेतना" (Consciousness) के रूप में अध्ययन करता है, लेकिन इसे भौतिक प्रमाणों से सिद्ध नहीं करता।  


 **सार रूप में:**  

आत्मा वह मूल तत्व है जो:  

- **अदृश्य** है परंतु अनुभूति में विद्यमान।  

- **परिवर्तनशील शरीर/मन से भिन्न** है।  

- **आध्यात्मिक ज्ञान** द्वारा ही जानी जा सकती है (जैसे उपनिषदों में "तत्वमसि" का सिद्धांत)।  


> "आत्मा का साक्षात्कार ही मनुष्य का परम लक्ष्य है।" — स्वामी विवेकानंद  

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