आज्ञा चक्र क्या है ? इसके खुलने के बाद क्या होता है ?

 आज्ञा चक्र (Ajna Chakra), जिसे "तीसरा नेत्र चक्र" भी कहा जाता है, हिंदू और योग परंपराओं में शरीर के सात प्रमुख ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) में से एक है। यह चक्र भौंहों के बीच, माथे के केंद्र में स्थित माना जाता है और इसे अंतर्ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिक जागरूकता से जोड़ा जाता है।


 **आज्ञा चक्र के खुलने के लक्षण और प्रभाव:**

जब आज्ञा चक्र सक्रिय या "खुला" होता है, तो इसके निम्नलिखित प्रभाव देखे जा सकते हैं:


1. **तीसरे नेत्र का अनुभव:**  

   - अंतर्ज्ञान (Intuition) तीव्र हो जाता है।  

   - व्यक्ति को भविष्य की घटनाओं, सपनों या आध्यात्मिक संकेतों का आभास होने लगता है।  


2. **गहरी आत्म-जागरूकता:**  

   - स्वयं और ब्रह्मांड के बीच एक गहरा संबंध महसूस होता है।  

   - मन शांत और स्पष्ट हो जाता है, भ्रम कम होता है।  


3. **सृजनात्मकता और दिव्य दृष्टि:**  

   - कलात्मक और दार्शनिक विचारों में वृद्धि होती है।  

   - ध्यान और मेडिटेशन के दौरान दिव्य प्रकाश या दृष्टियाँ अनुभव हो सकती हैं।  


4. **सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति:**  

   - भौतिक चीजों के प्रति आसक्ति कम हो जाती है।  

   - जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होता है।  


**आज्ञा चक्र के असंतुलन के लक्षण:**

- अत्यधिक सक्रियता: भ्रम, मानसिक अशांति, नकारात्मक दृष्टियाँ।  

- निष्क्रियता: निर्णय लेने में कठिनाई, अवसाद, आध्यात्मिक अंधकार।  


 **आज्ञा चक्र को संतुलित करने के उपाय:**

- **ध्यान (Meditation):** त्रिकुटी (भौंहों के बीच) पर ध्यान केंद्रित करना।  

- **मंत्र जाप:** "ॐ" (Om) या "ह्रीं" (Hreem) का उच्चारण।  

- **योग आसन:** बालासन, शीर्षासन, प्राणायाम (नाड़ी शोधन)।  

- **रंग और पत्थर:** इंडिगो (नीला) रंग, अमेथिस्ट या लैपिस लाजुली पहनना।  


 **निष्कर्ष:**

आज्ञा चक्र का खुलना आध्यात्मिक जागृति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह चक्र जब संतुलित होता है, तो व्यक्ति को अदृश्य सत्यों का बोध होता है और वह माया (भ्रम) से परे सच्चाई को देख पाता है। हालाँकि, इसकी सक्रियता को सावधानीपूर्वक संयमित रखना आवश्यक है, क्योंकि असंतुलन से मानसिक उथल-पुथल भी हो सकती है।  

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