भक्ति सूत्र
**भक्ति सूत्र** (Bhakti Sutra) भक्ति योग पर आधारित एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है, जो भक्ति (ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण) के सिद्धांतों और महत्व को समझाता है। यह सूत्र शंकराचार्य, नारद, या अन्य संतों द्वारा रचित माना जाता है (विभिन्न परंपराओं में अलग-अलग मत हैं)।
**प्रमुख विचार भक्ति सूत्र के**:
1. **भक्ति की परिभाषा**:
- "सा परानुरक्तिरीश्वरे" (ईश्वर के प्रति परम प्रेम ही भक्ति है)।
- भक्ति स्वार्थरहित, निःशर्त प्रेम और समर्पण है।
2. **भक्ति का महत्व**:
- भक्ति ज्ञान और कर्म से भी श्रेष्ठ मानी गई है।
- यह मोक्ष (मुक्ति) का सबसे सरल मार्ग है।
3. **भक्त के लक्षण**:
- ईश्वर के नाम, गुण और लीला में अनन्य प्रेम।
- सांसारिक वस्तुओं से विरक्ति।
- सदैव प्रभु-स्मरण में लीन रहना।
4. **भक्ति के प्रकार**:
- **सगुण भक्ति**: मूर्त रूप में ईश्वर की उपासना (जैसे राम, कृष्ण)।
- **निर्गुण भक्ति**: निराकार ब्रह्म की भक्ति (जैसे अद्वैत दर्शन)।
5. **भक्ति की साधना**:
- कीर्तन, प्रार्थना, मंत्र जप, सेवा और गुरु के प्रति समर्पण।
**प्रसिद्ध भक्ति सूत्र ग्रंथ**:
1. **नारद भक्ति सूत्र**: नारद मुनि द्वारा रचित, जो भक्ति के 84 सूत्रों में विस्तार से समझाता है।
2. **शांडिल्य भक्ति सूत्र**: भक्ति के तीन प्रकार (सात्विक, राजसिक, तामसिक) बताता है।
**नारद भक्ति सूत्र का एक प्रसिद्ध सूत्र**:
> *"तदर्पिताखिलाचारा तद्विस्मरणे परं व्याकुलत्वम्..."*
> (ईश्वर को सब कुछ समर्पित कर देना, और उनके स्मरण से ही शांति पाना ही भक्ति है।)
भक्ति सूत्रों का सार यही है कि **प्रेम और समर्पण ही ईश्वर तक पहुँचने का सर्वोत्तम मार्ग है**। ये ग्रंथ भक्ति की गहराई और सरलता दोनों को प्रकट करते हैं।
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