उपनिषद क्या हैं ?

 उपनिषद प्राचीन भारतीय ग्रंथ हैं जो वेदों के अंतिम भाग के रूप में जाने जाते हैं, इसलिए इन्हें **"वेदांत"** (वेद + अंत) भी कहा जाता है। ये हिंदू दर्शन, विशेषकर **अद्वैत वेदांत**, के मूल आधार हैं और भारतीय आध्यात्मिक चिंतन की पराकाष्ठा माने जाते हैं।


 उपनिषदों के प्रमुख विषय:

1. **ब्रह्म और आत्मा की एकता** – उपनिषदों का केंद्रीय सिद्धांत है कि **"ब्रह्म"** (परम सत्य) और **"आत्मा"** (जीवात्मा) एक ही हैं।  

   - प्रसिद्ध महावाक्य: **"तत् त्वम् असि"** (छांदोग्य उपनिषद) – "तू वही है।"


2. **मोक्ष की अवधारणा** – जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाना ही मोक्ष है, जो आत्मज्ञान से प्राप्त होता है।


3. **योग और ध्यान** – कुछ उपनिषदों में मन की शांति और आत्म-साक्षात्कार के लिए ध्यान व योग की विधियाँ बताई गई हैं।


4. **नैतिक जीवनशैली** – सत्य, अहिंसा, त्याग और संयम को ज्ञान प्राप्ति के लिए आवश्यक बताया गया है।


 प्रमुख उपनिषद:

कुल 108 उपनिषदों में से 13 को **मुख्य उपनिषद** माना जाता है, जिनमें शामिल हैं:

- **ईशावास्य उपनिषद** (कर्मयोग पर बल)  

- **कठोपनिषद** (यम-नचिकेता संवाद, मृत्यु के बाद का रहस्य)  

- **छांदोग्य उपनिषद** (सृष्टि रहस्य और "तत् त्वम् असि" का सिद्धांत)  

- **मुंडकोपनिषद** (ज्ञान vs अज्ञान की व्याख्या)  

- **माण्डूक्य उपनिषद** (ओमकार और चेतना के चार स्तर)  


 महत्व:

- उपनिषदों के विचारों ने **शंकराचार्य, रामानुज** जैसे आचार्यों के दर्शन को प्रभावित किया।  

- **गीता** में उपनिषदों के तत्वों को समाहित किया गया है।  

- विश्वभर के विद्वान (जैसे शोपेनहावर) इनकी गहनता से प्रभावित हुए।  


उपनिषद "रहस्यमय ज्ञान" (गुप्त शिक्षा) के रूप में भी जाने जाते थे, जो गुरु-शिष्य परंपरा में मौखिक रूप से सुरक्षित रहे। ये न केवल दार्शनिक हैं, बल्कि **आत्मा-परमात्मा के प्रत्यक्ष अनुभव** पर बल देते हैं।

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