गौतम बुद्धा का ध्यान क्या था?

 भगवान बुद्ध का ध्यान (ध्यान या मेडिटेशन) उनकी शिक्षाओं और जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। बुद्ध ने ध्यान के माध्यम से ही ज्ञान प्राप्त किया और इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों को भी ध्यान की विभिन्न विधियाँ सिखाईं।  


 **बुद्ध के ध्यान के मुख्य सिद्धांत:**  

1. **स्मृति (सतिपट्ठान):**  

   - बुद्ध ने **सतिपट्ठान सुत्त** में चार आधारों पर ध्यान करने का उपदेश दिया:  

     - **कायानुपसना (शरीर का अवलोकन)**  

     - **वेदनानुपसना (भावनाओं का अवलोकन)**  

     - **चित्तानुपसना (मन का अवलोकन)**  

     - **धम्मानुपसना (धर्म या वास्तविकता का अवलोकन)**  


2. **श्वास-ध्यान (आनापानसति):**  

   - श्वास पर ध्यान केंद्रित करना, जिससे मन स्थिर होता है।  

   - बुद्ध ने इसे **"शरीर और मन की एकाग्रता का सर्वोत्तम तरीका"** बताया।  


3. **मैत्री-ध्यान (मेट्टा भावना):**  

   - सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और करुणा का भाव विकसित करना।  


4. **विपश्यना (गहन अंतर्दृष्टि):**  

   - वस्तुओं और घटनाओं की वास्तविक प्रकृति (अनित्य, दुख, अनात्म) को समझना।  


 **ध्यान का उद्देश्य:**  

- मन की अशांति को शांत करना।  

- वास्तविकता को यथारूप में देखना (यथाभूत ज्ञान)।  

- निर्वाण (मुक्ति) की प्राप्ति।  


बुद्ध का कहना था कि **"ध्यान ही मन को शुद्ध करने और ज्ञान प्राप्त करने का मार्ग है।"** उन्होंने ध्यान को **"अष्टांगिक मार्ग"** का एक महत्वपूर्ण अंग बताया, जिसमें **सम्यक् समाधि (सही ध्यान)** शामिल है।  


यदि आप बुद्ध के ध्यान को आजमाना चाहते हैं, तो **श्वास पर ध्यान देना (आनापानसति)** या **मैत्री भावना का अभ्यास** करना एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।  



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